अमरनाथ यात्रा : प्राचीन और पौराणिक इतिहास ; अमरनाथ धाम हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है। अमरनाथ की गुफ़ा कश्मीर के श्रीनगर से क़रीब 141 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अमरनाथ गुफ़ा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस गुफ़ा की विशेषता यह है कि यहाँ बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है।
अमरनाथ यात्रा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ –
मंदिर की ऊंचाई कितनी है ? (Amarnath Temple Height)
यह श्रीनगर के उत्तर -पूर्व में समुद्र तल से 12,756 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।
अमरनाथ यात्रा कब प्रारम्भ होती है ?
आषाढ़ पूर्णिमा शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते है।
बर्फ के प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण –
गुफ़ा में हिम बूँदो के गिरने से लगभग दस फ़ीट लम्बा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने -बढ़ने के साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता -बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को अपने पूरे आकार में होता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
अमरनाथ यात्रा कहाँ से प्रारम्भ करें ?
इस यात्रा पर जाने के दो रास्ते है। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बालटाल। पहलगाम से जाने वाला रास्ता सरल और सुविधाजनक है वहीं बालटाल से जाने वाला रास्ता अत्यंत दुर्गम है। सरकार भी इस रास्ते को सुरक्षित नहीं मानती इसलिए सरकार पहलगाम यात्रा प्रारम्भ प्रेरित करती है।
अमरनाथ यात्रा में आने वाले पड़ाव –
पहलगाम से यात्रा प्रारम्भ करने पर पहला पड़ाव चंदनवाड़ी आता है जो आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूसरा पड़ाव चंदनवाड़ी से 19 किलोमीटर दूर स्थित शेषनाग है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला और अत्यंत खतरनाक है। किंवदंतियों अनुसार शेषनाग में स्थित झील में शेषनाग का वास माना जाता है। तीर्थयात्री शेषनाग में विश्राम करते है और यही से अगले पड़ाव पंचतरणी की यात्रा प्रारम्भ होती है।
पंचतरणी में पांच छोटी-छोटी सरिताओं का संगम है इसलिए इसे पंचतरणी कहा जाता है। यह स्थान चारों ओर से ऊँची -ऊँची चोटियों से ढका हुआ है। यहां ऊंचाई की वजह से ठंड भी अधिक होती है और ऑक्सीजन की कमी भी पाई जाती है। पंचतरणी से अमरनाथ गुफ़ा लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अमरनाथ गुफा से जुड़ी कुछ कथाएं (Amarnath Temple History in Hindi)
ऐसी मान्यता है कि जब शिवजी माता पार्वती को अमरत्व का ज्ञान दे रहे थे, उसी समय उस गुफा में एक कबूतर का जोड़ा भी था। शिवजी के मुख से कथा सुनने के बाद यह कबूतर का जोड़ा भी अमर हो गया। माना जाता है कि अमरनाथ गुफा में आज भी एक कबूतर का जोड़ा रहता है। मान्यता है कि जिन लोगों को कबूतर के जोड़े के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है, उनकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार कश्मीर घाटी जलमग्न हो गयी तो ऋषि कश्यप ने वहां इकट्ठे हुए पानी को नदियों और छोटे – छोटे जल स्त्रोतों के जरिये बहा दिया, माना जाता है कि उसी समय भृगु ऋषि वहां से गुजरे और जल स्तर कम होने पर उन्होंने हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में सबसे पहले अमरनाथ गुफा के दर्शन किए थे।
शिवलिंग से जुड़े कुछ रहस्य (Interesting Facts about Amarnath Temple)
- अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है।
- माना जाता है कि यहीं भगवान शिव ने पार्वती जी को अमरत्व का रहस्य बताया था।
- गुफ़ा में आश्चर्य की बात यह है कि यहां शिवलिंग ठोस बर्फ से बनता है जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही मिलती है।
Conclusion
इस पोस्ट के माध्यम से हमनें संक्षिप्त में अमरनाथ यात्रा के बारें में बताने की कोशिश की है। आशा करते है की यह पोस्ट आप सभी अभ्यर्थियों के लिए सहायक सिद्ध हो। अगर आपको हमारा लेख पसंद आया है तो इसे शेयर करे और कमेंट में सुझाव भी दे सकते है।
FAQs
ANS. यह श्रीनगर के उत्तर -पूर्व में समुद्र तल से 12,756 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।
ANS. अमरनाथ में लगभग 13 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई है जिसके कारण इस यात्रा में 5 से 6 दिन का समय लगता है।
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