99th Constitutional Amendment : जजों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया

भारत में न्याय प्रणाली इकहरी, एकीकृत व अविभाज्य है। न्यायपालिका की यह व्यवस्था भारत सरकार अधिनियम 1935 से की गई है। न्यायपालिका को ही संविधान में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इस लेख में हम जानेंगे सुप्रीमकोर्ट जजों की नियुक्ति (99th Constitutional Amendment) और उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया के बारें में –

सर्वोच्च न्यायालय पर एक नज़र (Supreme Court of India)

  • संविधान के अनुच्छेद 124-147 में केन्द्रीय न्यायपालिका से सम्बंधित प्रावधान किए गए है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का गठन संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत किया गया है।
  • सामान्यतः सर्वोच्च न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
  • प्रारंभ में सर्वोच्च न्यायालय म 1 मुख्य न्यायाधीश तथा 7 अन्य न्यायाधीश थे।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या (Judges in Supreme Court of India)

  • उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि या कमी करने की शक्ति संसद में निहित है।
  • 9 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट अधिनियम 1956 में संशोधन कर न्यायाधीशों की संख्या 30 से परिवर्तित कर 33 कर दी गई थी। इस तरह अब न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 (मुख्य न्यायाधीश सहित) हो गई है।
  • सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से (कॉलेजियम की सिफारिश) पर की जाती है।

99वां संशोधन अधिनियम (99th Constitutional Amendment in Hindi)

  • संसद ने सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की पूर्व चली आ रही कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने का निर्णय लिया।
  • इसके लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन का प्रावधान करने हेतु 99वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया था।
  • भारतीय में संविधान में अनुच्छेद 124A जोड़ा गया था।
  • 13 अप्रैल, 2015 को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम भी लागू किया गया।
  • इसके अनुसार सर्वोच्च व सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की सिफारिश पर किए जाने का प्रावधान था।
  • लेकिन अक्टूबर, 2015 में सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने इस संशोधन अधिनियम को रद्द कर दिया।
  • रद्द करके यह प्रावधान किया गया की सभी न्यायाधीशों की नियुक्तियां पूर्ववत कॉलेजियम प्रणाली से ही होगी।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाये जाने की प्रक्रिया

  • संविधान के अनुच्छेद 124(4) में प्रावधान है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में सिद्ध किए गए दुर्व्यवहार या अक्षमता के दोष पर पदच्युत कर सकता है।
  • इस अधिनियम के तहत न्यायाधीशों को पदच्युत करने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पारित किया जा सकता है।
  • अपराध सिद्ध होने पर संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपनी कुल सदस्य संख्या के बहुमत व उपस्थिति तथा मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई समर्थन से प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है।
  • यदि ऐसे प्रस्ताव को लोकसभा में पारित किया जाना हो तो उसके कम से कम 100 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किया जाना आवश्यक है।
  • अगर यही प्रस्ताव राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाना हो तो उसके कम से कम 50 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना आवश्यक है।
  • ऐसा प्रस्ताव सम्बंधित न्यायाधीश को कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना देने के बाद ही पेश किया जाता है।

त्रिसदस्यीय न्यायिक समिति

  • जिस भी सदन में यह प्रस्ताव पेश हो रहा है उस सदन का पीठासीन अधिकारी अभियुक्त न्यायाधीश के कदाचार और दुर्व्यवहार की जांच करने हेतु एक त्रिसदस्यीय न्यायिक समिति का गठन करता है।
  • इस समिति का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का कोई सेवारत न्यायाधीश होता है।
  • अन्य दो सदस्यों में से एक सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का सेवारत न्यायाधीश होना अनिवार्य है।
  • दूसरा सदस्य कोई भी प्रमुख विधिवेत्ता हो सकता है।
  • अभियुक्त न्यायाधीश को न्यायिक समिति के समक्ष अपना पक्ष करने का अधिकार होता है।
  • संसद के पास यह विवेकाधीन अधिकार होता है कि वह न्यायिक समिति की रिपोर्ट पर कार्यवाही करे या नही करे।
  • यदि जिस सदन में प्रस्ताव पेश किया गया है वहां यह पारित हो जाता है तो फिर इसे दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
  • यदि दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित हो गया तो इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन हेतु भेजा जाता है।
  • इसके बाद राष्ट्रपति उस प्रश्नगत न्यायाधीश को उसके पद से हटा देता है।

निष्कर्ष

भारत में न्यायपालिका के सर्वोच्च स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय को स्थापित किया गया है। भारत के संविधान में जहाँ न्यायाधीशों के नियुक्ति की प्रक्रिया (99th Constitutional Amendment) है तो वहीं दंड का प्रावधान भी है। सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश 65 वर्ष की उम्र तक अपने पद पर बना रह सकता है। लेकिन यदि किसी न्यायाधीश पर अपराध सिद्ध होने पर दोनों सदनों में अभियोग चलाकार उसे हटाया भी जा सकता है।

हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय के पास व्यापक शक्तियाँ है जिनके बारें में पढ़िए-

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