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अंटार्कटिका को विज्ञान को समर्पित महाद्वीप भी कहा जाता है, जैविक विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के विषय में अध्ययन के लिए यहाँ अनुसंधान केंद्र स्थापित किए गए।
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1960 में पहली बार एक भारतीय अंटार्कटिका पहुंचा था इसके बाद से भारत लगातार इस महाद्वीप का दौरा करता रहा।
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भारत की संरचना, जीवाश्म, जलवायु और खनिज आदि के अध्ययन के लिए अंटार्कटिका में एक रिसर्च केंद्र स्थापित किया गया जिसका नाम था दक्षिण गंगोत्री।
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दक्षिण गंगोत्री एक मानव रहित स्टेशन था जो सौर ऊर्जा से संचालित था।
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1990 में बर्फ के नीचे दब जाने के कारण इस रिसर्च सेंटर को छोड़ दिया गया ।
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बर्फ में दब जाने के कारण दक्षिण गंगोत्री को सप्लाई बेस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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दक्षिण गंगोत्री के बाद अंटार्कटिका में मैत्री (Maitri) अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई।
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मैत्री पूर्वी अंटार्कटिका में शिरमाकर ओएसिस नामक पथरीले पठारी इलाके में बनाया गया है।
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18 मार्च 2012 को अंटार्कटिका में भारत का तीसरा अनुसंधान केंद्र भारती स्थापित किया गया है ।
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महाद्वीप कितने है जानिए विस्तार से -