Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti मुग़ल साम्राज्य का विघटन होने से कई स्वतंत्र राज्यों का उदय हुआ। उनमें राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य था ‘मराठा राज्य’ जिसकी स्थापना शिवाजी महाराज द्वारा की गई थी। आइये विस्तार से जानें मराठा राज्य का विस्तार कैसे हुआ? मराठा इतिहास में शिवाजी और उनके पुत्र संभाजी महाराज का योगदान क्या रहा?
मराठों का अभ्युदय
आजकल जिस प्रदेश को ‘महाराष्ट्र’ कहा जाता है, मध्य युग में में उसमें पश्चिमी समुद्र तट का कोंकण प्रदेश, खानदेश तथा बरार का आधुनिक प्रदेश, नागपुर क्षेत्र, दक्षिण का कुछ हिस्सा तथा निजाम के राज्य का एक-तिहाई भाग था। यह भू-क्षेत्र मराठवाड़ा कहलाता था। 17वीं शताब्दी के अंत तक दक्कन क्षेत्र में शिवाजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली राज्य का उदय हुआ, जिसके अंततः एक मराठा राज्य की स्थापना हुई।
मराठा एक शक्तिशाली राज्य था जो लगातार मुग़ल साम्राज्य का विरोध करता रहा है। कोई भी राज्य उसके राजाओं द्वारा किए गए संघर्ष के कारण ही इतिहास में जाना गया है। मराठा राज्य के राजाओ के बारें में जानते है-
छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का जीवन परिचय
शिवाजी का जन्म 1627 में पुणे के निकट शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनकी की माता का नाम जीजाबाई था, जो देवगिरी के यादव वंश के जाधवराव की पुत्री थी। शिवाजी के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव जीजाबाई का था। शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले थे, जो पहले अहमदनगर और बाद में बीजापुर की सेवा में थे। पूना इन्हें जागीर में प्राप्त हुआ था। छत्रपति बचपन में अपने ‘दादा कोंकणदेव’ के संरक्षण में रहे। राजनीति की शिक्षा शिवाजी को इन्हीं से प्राप्त हुई।
1637 ई. में शिवाजी को अपने पिताजी से पूना की जागीर विरासत में मिली थी। 1640-41 ई. में शिवाजी का विवाह साईंबाई निम्बालकर के साथ हुआ था। उन्होंने कई किलों पर विजय हासिल की, उनके नाम निम्न है – सिंहगढ़ या कोंडाना (1643), रोहिंद और चाकन (1644-45), तोरण (1646), पुरंदर(1648), रायगढ़(1656)।
शिवाजी के जीवन की प्रमुख घटनाएं
राजनीतिक गुरु | दादा कोणदेव |
धार्मिक गुरु | गुरु रामदास |
तोरण में किले पर विजय प्राप्त की | 1646 ई. |
रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया | 1656 ई. |
अफज़ल खान की हत्या | 1659 ई. |
शाहिस्ता खान को परास्त किया | 1663 ई. |
सूरत पर आक्रमण और लूट | 1664 ई. |
पुरंदर की संधि | 1665 ई. |
राज्याभिषेक | 1674 ई. |
शिवाजी महाराज की मृत्यु | 1680 ई. |
बीजापुर का शासक था आदिल खान, उसने शिवाजी को दंडित करने के लिए अफज़ल खां को नियुक्त किया। लेकिन अफज़ल खान को 1659 में शिवाजी ने मार डाला। उसके बाद दक्कन में 1660 ई. में औरंगजेब ने शिवाजी की शक्तियों को कम करने के लिए शाइस्ता खान को नियुक्त किया। इस संघर्ष में शिवाजी ने पूना को खो दिया और हार का सामना किया। लेकिन शेर कहा रुकने वाला था, उन्होंने 1664 ई. में शाइस्ता खान पर सीधा हमला ना कर अहमदनगर और सूरत को लूट लिया।
इतने प्रयासों के बाद भी जब औरंगजेब मराठा शिवाजी की शक्तियों को कम नहीं कर पाया तो उसने आमेर के राजा जयसिंह को नियुक्त किया।
पुरंदर की संधि
जून, 1665 ई. में शिवाजी और राजा जयसिंह के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें शिवाजी पराजित हुए। और उन दोनों के बीच पुरंदर की संधि हुई। इस संधि के अनुसार शिवाजी ने कुछ किले मुगलों को सौप दिए थे। बीजापुर और मुग़लों के खिलाफ़ उनके प्रदर्शन के कारण वे विख्यात व्यक्तित्व बन गए थे। वे अपने विरोधियों के खिलाफ़ गुरिल्ला युद्धकला का प्रयोग किया करते थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक
1674 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ के दुर्ग में महाराष्ट्र में स्वतंत्र शासक के रूप में अपना राज्याभिषेक करवाया। एवं उन्होंने ‘छत्रपति’, ‘गोप्रतिपालक’, ‘ब्राह्मणप्रतिपालक’, ‘हिन्दूउदारक’ की उपाधि धारण की। उनके राज्याभिषेक में बनारस के प्रसिद्ध ब्राह्मण गंगा भट्ट को आमंत्रित किया गया था। राज्याभिषेक के 12 दिन पश्चात् उनकी माता जीजाबाई की मृत्यु हो गई। 1680 ई. में शिवाजी महाराज की भी मृत्यु हो गई।
शिवाजी के अष्टप्रधान
छत्रपति शिवाजी की मंत्रिपरिषद ‘अष्टप्रधान’ कहलाती थी। जो की निम्न थे –
पेशवा | प्रधानमंत्री |
अमात्य या मजूमदार | वित्त मंत्री |
सुमंत या दबीर | विदेश मंत्री |
वाकियानवीस | गृह मंत्री |
सुरुनविस या सचिव | पत्राचार मंत्री |
पंडित राव या सरदार | धार्मिक मामलों का प्रमुख |
सर-ए-नौबत या सेनापति | प्रधान सेनापति |
न्यायाधीश | न्यायमूर्ति |
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मराठों द्वारा कौनसा कर लगाया जाता था?
शिवाजी महाराज द्वारा चौथ और सरदेशमुखी कर वसूलने की प्रथा शुरू की गई थी। ये कर थे क्या? आइये जानते है इनकी परिभाषा –
- चौथ – चौथ ऐसा कर था जो बाह्य आक्रमण ससे सुरक्षा प्रदान करने के एवज में लिया जाता था। यह जमींदारों द्वारा वसूले जाने वाले भू-राजस्व का 25 प्रतिशत था। दक्कन में इसे मराठा वसूलते थे।
- सरदेशमुखी – अनेक देश स्वामियों के ऊपर एक ‘सरदेसाई’ या सरदेशमुख होता था। इस कर में भू-राजस्व का 9 से 10 प्रतिशत हिस्सा होता था।
संभाजी महाराज (1680-89)
- शिवाजी के बड़े पुत्र थे संभाजी जिन्होंने उत्तराधिकार की लड़ाई में अपने छोटे भाई राजाराम को हराया था।
- औरंगजेब के बाद संघर्ष में संगमेश्वर नामक स्थान पर मुग़ल सेना ने इन्हें पकड़ लिया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti)
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी माने जाते है। हर साल 19 फरवरी को शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है। 1870 में पहली बार ज्योतिराव फुले द्वारा शिवाजी जयंती मनाई गई। इस दिन महाराष्ट्र में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य प्रतियोगिता और भाषण का आयोजन होता है।
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti) ऐसे भारतीय शासक थे जिन्होंने अपनी शक्ति के दम पर मराठा साम्राज्य की स्थापना की। और मुग़ल साम्राज्य की नींव ही हिला दी। आशा करते है आपको जानकारी अच्छी लगी होगी और जिस जवाब की खोज में आप इस पेज पर आये वो आपको मिला होगा।
FAQs
ANS. 19 फरवरी
ANS. जीजाबाई
ANS. शिवाजी के बड़े पुत्र
ANS. 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज द्वारा मराठा साम्राज्य की स्थापना की गई