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महाराणा सांगा कौन थे? उनके जीवन की कहानी क्या रही आइये संक्षिप्त में जानते है -

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महाराणा संग्रामसिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है इनका जन्म सन् 1482 में हुआ था

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राणा सांगा महाराणा कुम्भा के पौत्र, महाराणा रायमल के तीसरे पुत्र थे और महाराणा प्रताप के दादा थे

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1509 में राणा सांगा का राज्याभिषेक हुआ था उस समय दिल्ली में लोदी वंश और गुजरात में महमूद बेगडा का शासन था

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महाराणा सांगा उदार, बुद्धिमान और मेवाड़ के न्यायप्रिय शासक थे, शायद इसीलिए उन्हें अंतिम भारतीय हिन्दू सम्राट के रूप में याद किया जाता है

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राणा सांगा के समय काबुल का शासक बाबर था, बाबर तैमुर लंग के वंशज उमरशेख मिर्ज़ा का पुत्र था

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1526 में पानीपत के युद्ध में बाबर ने दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी को परास्त कर दिल्ली में मुग़ल शासक स्थापित कर दिया

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राणा सांगा ने विदेशियों को भारत से खदेड़ फैंकने के लिए सभी राजपूत शासकों को एकजूट किया, मेवाड़ के परम यशस्वी शासकों में महाराणा सांगा का नाम आता है

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दिल्ली की गद्दी पर बैठने के बाद 16 फ़रवरी, 1527 में महाराणा सांगा और बाबर के बीच बयाना का युद्ध हुआ, लेकिन बाबर युद्ध में सांगा का सामना न कर सका, महाराणा सांगा ने बयाना के युद्ध में विजयी हुए

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इतने संघर्षों के बाद 15 फ़रवरी,1528को महाराणा सांगा का स्वर्गवास हो गया ,मेवाड़ ही नहीं पूरे भारतवर्ष के इतिहास में महाराणा संग्रामसिंह का एक विशिष्ट स्थान है

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जानें मेवाड़ के प्रतापी शासक के इतिहास के बारें में -