Bharat ke Rajyapal राज्यपाल की नियुक्ति ,कार्यकाल एवं योग्यताएँ , राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है। राज्य की समस्त कार्यपालिका व विधायी शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती है। वह राज्य का प्रथम नागरिक होता है। जिस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति का पद है उसी प्रकार राज्य स्तर पर राज्यपाल, सरकार का संवैधानिक या कार्यकारी प्रधान (मुखिया) होता है।
भारत के संविधान में राज्यपाल का प्रावधान (Bharat ke Rajyapal)
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। राज्य कार्यपालिका संबंधी प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 153 से अनुच्छेद 167 तक दिए गए है।
राज्य में एक गवर्नर (अनुच्छेद 153) –
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में एक गवर्नर की व्यवस्था की गयी है।
[ NOTE :- संविधान के सातवें संशोधन ,1956 के द्वारा यह व्यवस्था की गई है की एक ही व्यक्ति को दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।]
नियुक्ति ( Appointment of Governor) [अनुच्छेद 155] –
- संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिपरिषद की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। ( नोट:- राज्यपाल जिस राज्य के लिए चुना जाना है वह उस राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए )
- हमारे संविधान में राज्यपाल की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया कनाडा के संविधान से ग्रहण की गयी है।
- राज्यपाल की नियुक्ति से पूर्व राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से सलाह लेना एक परंपरा है , संवैधानिक आवश्यकता नहीं।
कार्यकाल (अनुच्छेद 156 ) – (governor of india tenure)
- सामान्यतः राज्यपाल का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है , परन्तु अपने कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वह अपने पद पर तब तक बना रह सकता है, जब तक की अन्य व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त न कर दिया जाये।
- अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद -पर्यंत अपने पद पर बना रह सकता है।
योग्यताएँ (अनुच्छेद 157) – (Bharat ke Rajyapal)
- वह भारत का नागरिक हो।
- कम से कम 35 वर्ष की आयु का हो।
- वह संसद या राज्य विधायिका का सदस्य न हो।
- वह सरकार में किसी भी लाभ के पद पर कार्य न करता हो।
शपथ (अनुच्छेद 159 ) –
- राज्यपाल को संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है।
त्यागपत्र – (Bharat ke Rajyapal)
- राज्यपाल अपने कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व राष्ट्रपति को अपना लिखित व हस्ताक्षरित त्यागपत्र देकर कभी भी अपने पद से मुक्त हो सकता है।
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राज्यपाल की शक्तियां व कार्य क्या है ? (Power of Governor in Hindi)
राज्यपाल की शक्तियाँ (अनुच्छेद 163) –
शक्तियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है –
- वे शक्तियां जिनका प्रयोग वह मुख्यमंत्री की सलाह से करता है।
- वे शक्तियां जिनका प्रयोग वह स्वविवेक के आधार पर करता है।
राज्यपाल की कार्यपालिका शक्तियां (अनुच्छेद 154 ) –
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति व उनकी सलाह से मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति। इन सभी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है तथा उनके मध्य कार्य का विभाजन करता है। (अनुच्छेद 164 )
- राज्य के महाधिवक्ता (अनुच्छेद 165 ) एवं लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।
- वह राज्य के “ राज्य निर्वाचन आयुक्त (अनु. 243 ट ) एवं राज्य वित्त आयोग (अनु. 243 झ )” की नियुक्ति करता है।
- राज्य के लोकायुक्त की नियुक्ति करता है।
- सिविल सेवाओं के सदस्य राज्यपाल के नाम पर नियुक्त किये जाते है।
विधायी शक्तियां – (Bharat ke Rajyapal)
- राज्य विधानसभा का अधिवेशन बुला सकता है और भंग भी कर सकता है। (अनु. 174 )
- राज्य विधानमंडल द्विसदनीय होने पर वह दोनों सदनों को अलग – अलग या संयुक्त रूप से संबोधित कर सकता है। (अनु. 175 )
- हर वर्ष सदन के पहले सत्र को सम्बोधित करता है और चुनाव के बाद नयी विधानसभा के गठन पर भाषण देता है। (अनु. 176 )
- कोई भी विधेयक क़ानून तब तक नहीं बन सकता जब तक की उस पर राज्यपाल की स्वीकृति न हो।
- राज्यपाल को राष्ट्रपति के समान अध्यादेश जारी कर क़ानून निर्माण का अधिकार है।
वित्तीय शक्तियां –
- वित्त विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति के बाद ही राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत किये जाते है।
- पंचायत और नगरपालिका की वित्तीय स्थितियों की समीक्षा के लिए हर 5 साल में एक राज्य वित्त आयोग का गठन करता है।
न्यायिक शक्तियां – (Bharat ke Rajyapal)
- राज्य सूची में दिए गए विषय के संबंध में दण्डित व्यक्ति को क्षमा / दंड निलंबित / स्थगित कर सकता है। (अनु. 161 )
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति राज्यपाल के परामर्श से ही करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु –
- सरोजिनी नायडू के अनुसार “ राज्यपाल उस पक्षी की भांति है जो सोने के पिंजरे में बंद है।”
- राष्ट्रपति शासन की स्थिति में संघीय सरकार के अभिकर्ता के रूप में कार्य करता है।
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FAQs
ANS. संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिपरिषद की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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