Aravali Parvat Mala अरावली पर्वत दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमाला है। इसे गोडवाना लैंड का भाग माना जाता है। यह राजस्थान राज्य में स्थित है और इसका कुछ भाग गुजरात, हरियाणा में भी स्थित है। अरावली रेंज में कुल 10 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। आइये जानते है इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें विस्तार से –
अरावली पर्वतमाला का इतिहास (Aravali Parvat Mala Itihas)
यह पर्वतमाला 570 मिलियन वर्ष पुरानी है इसका मतलब यह है कि यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वतमाला है। इसका निर्माण एज़ोइक युग के प्री-कैम्ब्रियन काल में हुआ था। यह राजस्थान के कुल क्षेत्रफल के 93 प्रतिशत भू-भाग पर फैली हुई है। अरावली पर्वत की कुल लम्बाई 692 किमी है वहीँ राजस्थान में इसकी लम्बाई 550 किमी है।
अरावली का निर्माण (Aravali Parvat Mala ka Nirmaan)
ऐसा माना जाता है कि अरावली का निर्माण अवसादीकरण से हुआ है। अरावली पर्वतमाला उस समय की है जब कुछ भी नहीं था दुनिया में। धरती की प्लेटों की अभिसारी गति से स्थल पर वलन या मोड़ पड़े और उससे पर्वतमाला का निर्माण हुआ, इसलिए अरावली को वलित या मोड़दार पर्वतमाला भी कहा जाता है।अरावली एक अवशिष्ट पर्वतमाला है क्योंकि इसका लगातार अपरदन हो रहा है। अरावली की निर्माण के समय ऊंचाई 2800 मीटर थी जो घटते -घटते 1722 मीटर हो गई है। यह एक चिंता का विषय है।
अरावली का विस्तार (Aravali ka vistaar)
- अरावली पर्वत गुजरात के खेड़ब्रह्मा से शुरू होती है और दिल्ली के दक्षिण में इसका अंत हो जाता है।
- अरावली राजस्थान में सिरोही से प्रवेश करती है और इसका निकास खेतड़ी झुंझुनू से होता है।
- इस पर्वत की औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
- अरावली राजस्थान के12 जिलों के मध्य से गुजरती है उनके नाम है – राजसमंद, डूंगरपुर, सिरोही, उदयपुर, अजमेर, टोंक, सवाईमाधोपुर और जयपुर संभाग के 5 जिले।
- अरावली के विस्तार की दिशा दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व है।
विशेषता क्या है अरावली पर्वतमाल की?
- सबसे ज्यादा धात्विक खनिज (लौह अयस्क, मैगनीज) आदि अरावली में ही पाए जाते है इसलिए अरावली को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है।
- अरावली को जनजातियों की शरणस्थली भी कहा जाता है। यहाँ भील, गरसियाँ, कंजर, डामोर और काथोडी जनजातियाँ निवास करती है।
- सभी राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य भी अरावली में स्थित है।
अरावली की तुलना
- अरावली की तुलना यूएस के अप्लेशियन पर्वत से की जाती है।
- इस पर्वतमाला को तत् वाद्ययंत्र तानपुरा या तंदूरा के समान माना गया है।
- इसकी तुलना शरीर के अंग कान से भी की गई है अर्थात इसे कान के समान माना गया है।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख से सिद्ध होता है कि अरावली दुनिया की सबसे प्राचीन वलित (Folded) अवशिष्ट पर्वतमाला है। उम्मीद करते है आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिले होंगे। जानकारी अच्छी लगी लगे तो शेयर करे क्योंकि ज्ञान को जितना बांटा जाए वो उतना ही बढ़ता है।
FAQs
ANS. इस पर्वमाला की औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
ANS. अरावली को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है।
ANS. 692 किमी
यह भी पढ़े-
शेयर करे –