Biodiversity in Hindi जबसे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई है तभी से यहाँ जैव विविधताएं पाई जाती है। संसार में 15 लाख से भी अधिक प्रजातियाँ मौजूद है। पृथ्वी पर जैव विविधताओं का संरक्षण मानव जाति की प्राथमिकता होनी चाहिए किन्तु पूरे विश्व में यह स्थिति चिंताजनक है। पारिस्थितिकी क्षेत्र में होने वाला मानव जाति का विकास कही न कही बायोडायवर्सिटी की हानि का कारण बन रहा है। सबसे अधिक बायोडायवर्आसिटी अमेज़न के जंगलों में पाई जाती है जिन्हें पृथ्वी के फेफड़े भी कहा जाता है। जानते है इसके बारें में विस्तार से –

जैव विविधता क्या है? (What is Biodiversity in Hindi)
पृथ्वी के पर्यावरण में जीव-जंतु व वनस्पति के मध्य विविधता पाई जाती है, उसे जैव विविधता कहते है। मुख्य रूप से कहा जाए तो हमारी पृथ्वी पर अलग-अलग तरह के जीव-जन्तु और पादप उपस्थित है फिर चाहे वह जलीय आवास में रहने वाले हो या मरुस्थलीय या शीत आवास में रहने वाले। ये सभी जन्तु और वनस्पतियाँ पृथ्वी पर जो अपना अस्तित्व बनाये रखे हुए है यह है जैव विविधता। जैव विविधता शब्द की खोज एडवर्ड विल्सन द्वारा की गई थी।
जैव विविधता के प्रकार (Types of Biodiversity)
विविधता को तीन भागों में बांटा गया है –
- आनुवंशिक विविधता – एक जीन से दूसरे जीन में उत्पन्न विविधता आनुवंशिक विविधता है। जैसे – मेंडल का मटर के दानें का प्रयोग, गेंहूँ की अलग-अलग उपलब्ध जातियां आदि।
- प्रजाति विविधता – प्रजाति विविधता से तात्पर्य है कि एक जीन से पूरी प्रजाति या समुदाय में उत्पन्न विविधता। भूमध्य रेखीय क्षेत्र में सबसे अधिक प्रजाति विविधता पाई जाती है।
- पारिस्थितिक विविधता – एक समुदाय से दूसरे समुदाय में उत्पन्न विविधता पारिस्थितिक विविधता कहलाती है।
जैव विविधता का संरक्षण (Biodiversity in Hindi)
मानव जाति के अस्तित्व को ख़तरा न पहुंचे इसके लिए जैव विविधता का संरक्षण बहुत आवश्यक है। जैव विविधता का संरक्षण IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना 1948 में की गई थी। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। इसमें संकटापन्न जातियों की एक सूची जारी की जाती है। इन जातियों को Red Data Book में गुलाबी पृष्ठ पर रखा जाता है। लोगों में जैव विविधता की जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है।
जैव विविधता के संरक्षण की विधियाँ / प्रकार
स्वस्थान पर संरक्षण (इन सीटू)
इस संरक्षण में राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभ्यारण्य, आखेट निषेध क्षेत्र, जैव आरक्षित क्षेत्र बनाये जाते है। अधिक से अधिक संरक्षण के लिए जैव विविधता हॉट स्पॉट बनाये जाते है। पूरे विश्व में ऐसे 35 हॉट स्पॉट चिन्हित किये जा चुके है। भारत में 18 जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र है जिसमें नीलगिरी, पन्ना, असम, मन्नार खाड़ी और सुंदरबन शामिल है।
बाह्य स्थान पर संरक्षण (एक्स सीटू)
इस प्रकार के संरक्षण में प्रजातियों को अपने आवास से अलग-अलग स्थान पर रखा जाता है और वहां संरक्षित किया जाता है। इस विधि में चिड़ियाघर, जन्तु उद्यान, वनस्पति उद्यान, जीन बैंक और सीड बैंक बनाए जाते है।
भारत के प्रमुख बायोस्फियर रिज़र्व
- सबसे बड़ा जैव आरक्षित क्षेत्र – मन्नार खाड़ी
- सुंदरबन
- नंदादेवी
- मेघालय नाकरेक
- सिमलीपाल
निष्कर्ष
जैव विविधताओं के नुकसान का मुख्य कारण मानव जाति का विकास और विकास के लिए बढ़ता लालच है। शहरीकरण के कारण वनों का दोहन हो रहा है। जीव-जन्तुओं के शिकार के कारण समुद्री मछलियाँ, पादप जाति कम होती जा रही है। जब एक जाति विलुप्त होती है तो उससे सम्बंधित अन्य जाति का भी विलोप हो जाता है जैसे पादप जाति में कमी आएगी तो कीट पतंगों में भी कमी होगी। अतः आवश्यक है कि वातावरण के बिगड़ते संतुलन को समझा जाए और उसके उपाय के प्रति जागरूकता दिखाई जाए।
इस लेख में हमनें आपको Biodiversity in Hindi को संक्षिप्त में बताने का प्रयास किया है। आशा करते है आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा। अगर लेख अच्छा लगे तो इसे शेयर करे और कोई त्रुटी होने पर आप हमसे संपर्क भी कर सकते है।
FAQs
ANS. 22 मई
ANS. International Union for Conservation of Nature
ANS. तीन प्रकार है – आनुवंशिक, प्रजातीय और पारिस्थितिक विविधता
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