Chola Dynasty in Hindi चोल साम्राज्य का शासन 9वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक रहा। चोल दक्षिण भारत का शक्तिशाली साम्राज्य रहा है। तमिल रामायण के लेखक कंबन चोल शासक के दरबारी रहे। आइये जानते है इस समृद्ध साम्राज्य को विस्तार से-
चोल वंश के संस्थापक कौन थे?
चोल वंश का काल 9वीं सदी से 11वीं सदी के मध्य है। चोल वंश की स्थापना का श्रेय विजयालय को जाता है। इनके शासन का विस्तार दक्षिण भारत में श्रीलंका से उत्तर में कृष्णाघाटी तक था।
राजधानी क्या थी चोल वंश की ?
कृष्णा और तुंगभद्रा नदी के दक्षिण का भाग चोल साम्राज्य के अंतर्गत आता था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया था।
चोल वंश का इतिहास (Chola Dynasty in Hindi)
- परान्तक प्रथम – परान्तक ने कृष्ण द्वितीय पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष में वीरचोल नामक उपाधि धारण की। बाद में इन्होंने मदुरा को जीता। लेकिन राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने परान्तक को तक्कोलम के युद्ध में हरा दिया। इस हार के बाद चोल साम्राज्य को बहुत हानि हुई।
- राजराजा प्रथम – ये ‘राजकेसरी अरुमोलिवर्मन’ के नाम से जाने जाते थे। राजराजा प्रथम को चोल वंश का सबसे महान शासक माना जाता था। इन्होंने ही उत्तरी सिलोन में चोल प्रान्त की स्थापना की। राजराजा ने ही कलिंग पर आक्रमण कर उसे चोल साम्राज्य में मिला लिया था। राजराजा प्रतम द्वारा 1000 ई. में स्थानीय स्वशासन की आधारशिला रखी गई।
- राजेंद्र प्रथम – चोल साम्राज्य का सबसे ज्यादा विस्तार राजेंद्र प्रथम के काल में हुआ। अपने विजय अभियान में राजेंद्र प्रथम ने पश्चिमी चालुक्य और चेरो को पराजित किया। इन्होंने नई राजधानी गंगईकोंडचोलपुरम की स्थापना की। राजेंद्र प्रथम अंडमान और निकोबार पर विजय प्राप्त करने वाले पहले चोल शासक थे।
- राजाधिराज प्रथम – इन्होंने पश्चिमी चालुक्य नरेश सोमेश्वर प्रथम को हराकर कल्याणी पर अधिकार किया। और विजयराजेंद्र की उपाधि धारण की।
- कुलोतुंग प्रथम – यह राजेंद्र प्रथम के नाती थे जो चोल साम्राज्य के शासक बने। 1070 ई. से उत्तरवर्ती चोल राज्य प्रारंभ हुआ।
- राजराजा द्वितीय – चोल साहित्य में राजराजा द्वितीय को तमिल संरक्षक घोषित किया गया है।
- राजेंद्र तृतीय – यह चोल वंश के अंतिम शासक थे। अंत में चोल साम्राज्य 1279ई. में पांड्य राज्य का अंग बन गया था।
चोल मन्दिर (Chola Dynasty Temple in Hindi)
इन मन्दिरों को महान जीवित मन्दिर भी कहा जाता है। चोल साम्राज्य के सर्वश्रेष्ठ उदहारण है यह मन्दिर। इन्हें यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
- तंजौर का वृहदेश्वर मन्दिर – राजराजा प्रथम ने 1010 ई. में वृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण कर्वे जिसे राजराजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है। यह एक शिव मन्दिर है।
- गंगेकोंदचोलपुरम मन्दिर – राजेंद्र प्रथम ने 1035 ई. में इस मन्दिर का निर्माण करवाया।
- एरावतेश्वर मन्दिर – राजराजा द्वितीय द्वारा दारासमुद्रम के एरावतेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने आपकी चोल राजवंश का इतिहास (Chola Dynasty in Hindi) संक्षिप्त में बताने का प्रयास किया है। आशा करते है आपको यह जानकरी अच्छी लगी होगी। इस इतिहास को शेयर करे।
FAQs
ANS. चोल वंश के संस्थापक विजयालय थे।
ANS राजराजा प्रथम चोल वंश के महान शासक थे।
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