History of Buddhism छठी शताब्दी में बौद्ध धर्म की शुरुआत मानी जाती है। दुनिया में लगभग 33% लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है। बौद्ध धर्म विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। बौद्ध धर्म की शुरुआत गौतम बुद्ध के द्वारा की गयी। आइये जानते है गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म कर बारें में विस्तार से –

बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे?
महात्मा बुद्ध या गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवर्तक माने जाते है। जिनका जन्म 563 ई.पू. वैशाख पूर्णिमा को कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ।
गौतम बुद्ध का जीवन परिचय (History of Buddhism)
- बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
- उनके पिता शुद्धोधन थे जो कपिलवस्तु के शाक्य गणराज्य के प्रधान थे।
- उनकी माता का नाम महामाया था। उनकी पत्नी यशोधरा थी और उनके पुत्र का नाम राहुल था।
- सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की उम्र में गृह त्याग दिया । और गोरखपुर के समीप अनोमा नदी के तट पर सन्यास धारण किया।
- सिद्धार्थ को सारनाथ में पीपल के वृक्ष के नीचे 48 दिन की समाधि के उपरांत ज्ञान की प्राप्ति हुई।
- ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ ‘बुद्ध’ कहलाए। जिस वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति हुई उसे बोधिवृक्ष कहा गया।
- अश्वजीत, उपाली, मोदग्ल्यानन, श्रेयपुत्र, और आनंद बुद्ध के पांच प्रथम शिष्य थे।
- 45 वर्ष तक बुद्ध ने अपने धर्म का प्रचार – प्रसार किया।
- 483 ई. पू. कुशीनगर में गौतम बुद्ध की मृत्यु हो गयी जिसे “महापरिनिर्वाण” कहा गया।

बौद्ध धर्म के साहित्य (History of Buddhism)
इस धर्म साहित्य पाली भाषा में लिखा गया है। बौद्ध धर्म में त्रिपिटक सर्वाधिक महत्वपूर्ण है
- सुत्तपिटक – इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों और उपदेशों का वर्णन है।
- अभिधम्मपिटक – इसमें बौद्ध धर्म का दार्शनिक विवेचन है।
- विनयपिटक – इसमें भिक्षु के दैनिक जीवन व आचरण संबधी नियमों का वर्णन मिलता है।
बौद्ध धर्म की शिक्षाएं कौन कौनसी थी?
- संसार दुखों का घर है।
- दुखों का कारण तृष्णा है।
- तृष्णा का विनाश ही दुःख निरोध का मार्ग है।
- तृष्णा का विनाश अष्टांगिक मार्ग द्वारा सम्भव है।
दलाई लामा जीवन परिचय–
बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग क्या है?
अष्टांगिक मार्ग है – सम्यक दृष्टि, सम्यक वचन, सम्यक संकल्प, सम्यक कर्म, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि।
बौद्ध धर्म के संप्रदाय को कितने वर्गों में बांटा गया है?
- हीनहायन सम्प्रदाय – यह परम्परावादीयों का संघ माना जाता है जो धर्म के आदर्शों को बिना परिवर्तन के स्वीकार करते है।
- महायान सम्प्रदाय – इस सम्प्रदाय के लोग परिवर्तनवादी विचारधारा के समर्थक थे। इसमें महात्मा बुद्ध की मूर्तिपूजा की जाने लगी।
- वज्रयान सम्प्रदाय – इस सम्प्रदाय के अनुयायी बुद्ध को अलौकिक शक्तियों वाला पुरुष मानते थे। चीन व तिब्बत में ये विशेष रूप से प्रचलित है।
अतः बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी व अनात्मवादी है। महात्मा बुद्ध पुनर्जन्म में विश्वास करते थे।
यह भी पढ़े –