Supreme Court of India ; 50वें मुख्य न्यायाधीश

Supreme Court of India भारतीय संविधान ने एकीकृत न्याय व्यवस्था की स्थापना की है।  जिसके शीर्ष स्थान पर उच्चतम न्यायालय व उसके अधीन उच्च न्यायालय है।  मूल संविधान में उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और सात अन्य न्यायाधीश थे। वर्तमान में संविधान में तैंतीस अन्य न्यायाधीश तथा एक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान है। 

Supreme Court of India के 50वें मुख्य न्यायाधीश –

भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप जस्टिस धनंजय वाय चंद्रचूड़ को चुना गया। जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश थे। भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 27 अगस्त को शपथ ग्रहण की थी। भारत के 48 वें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण अपने पद से रिटायर हो गये है। जस्टिस उदय उमेश ललित ने 75 दिनों के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपना पदभार संभाला था। 

कैसे होती है Supreme Court of India के न्यायाधीशों की नियुक्ति – 

  • मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 
  • मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का परामर्श आवश्यक है। 

न्यायाधीशों की योग्यताएं –  

  • वह भारत का नागरिक हो। 
  • किसी उच्च न्यायालय में  कम से कम पांच साल के लिए न्यायाधीश हो। 
  • उच्च न्यायालयों या विभिन्न न्यायालयों में 10 वर्ष के लिए वकील होने का अनुभव हो। 
  • राष्ट्रपति के मत में सम्मानित न्यायवादी होना चाहिए। 

शपथ – 

उच्चतम न्यायालय के लिए नियुक्त न्यायाधीशों को अपना पद संभालने से पूर्व राष्ट्रपति या इस कार्य  के लिए उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के सामने शपथ लेनी होती है। 

कार्यकाल – 

  • वह 65 वर्ष की आयु तक पद पर बने रह  सकते है। 
  • वह राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र दे सकते है। 
  • संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पद से हटाया जा सकता है। 

तदर्थ न्यायाधीश (Ad – hoc Judge) – 

जब कभी स्थायी न्यायाधीशों की संख्या कम हो रही हो तो भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को अस्थायी काल के लिए उच्चतम न्यायालय में तदर्थ न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है। 

ऐसा वह संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श और राष्ट्रपति की पूर्ण मंजूरी के बाद ही कर सकते है। 

Supreme Court की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार – 

  • मूल क्षेत्राधिकार – उच्चतम न्यायालय भारत के संघीय ढांचे की विभिन्न इकाइयों के बीच किसी विवाद पर संघीय न्यायालय की तरह निर्णय लेता है। विवाद जो – केंद्र व एक या अधिक राज्यों के मध्य हो या, दो या अधिक राज्यों के बीच। 
  • न्यायादेश क्षेत्राधिकार – उच्चतम न्यायालय को अधिकार प्राप्त है कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, उत्प्रेषण, प्रतिषेध आदि पर न्यायादेश जारी कर नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करें। 
  • अपीलीय क्षेत्राधिकार – उच्चतम न्यायालय निचली अदालतों के फैसले के खिलाफ सुनवाई करता है। 
  • सलाहकार क्षेत्राधिकार – संविधान का अनु. 143 राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय से सलाह करने की शक्ति देता है। 
  • अभिलेखों का न्यायालय – उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही एवं उनके फैसले सार्वकालिक अभिलेख व साक्ष्य के रूप में रखे जाएंगे। 
  • न्यायिक समीक्षा की शक्ति – उच्चतम न्यायालय में न्यायिक समीक्षा की शक्ति निहित है। इसके तहत वह केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर विधायी कार्यकारी आदेशों  संवैधानिक होने की जांच की जाती है। उन्हें गलत अधिकार पाए जाने पर उन्हें अविधिक, असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जा सकता है। 

FAQs

Q. वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश कौन है?

ANS. जस्टिस धनंजय वाय चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश है। 

Q. भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है?

ANS. मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 

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