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400 साल पहले राजा महाराजा राजघरानों में किस चीज से होली खेला करते थे जानिए -

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होली रंगों का त्योहार है इसे पारंपरिक तौर पर दो दिन तक मनाया जाता है। पहला दिन होलिका दहन व दूसरा दिन धुलेंडी के नाम से जाना जाता है।

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आज के समय में होली के दुसरे दिन यानी धुलेंडी वाले दिन लोग एक दुसरे को गुलाल लगाते है पर आज से 400 वर्ष पूर्व राजा महाराजा गुलाल का प्रयोग नही करते थे। 

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उस समय राजघरानों में गुलाल गोटो से होली मनाई जाती थी।

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यह एक तरह से लाख से बनी गेंद है जिसमे प्राकृतिक रंग भरे जाते है और फिर इसे एक दुसरे पर फेंक कर होली मनाई जाती है।

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गुलाल गोटा राजस्थान की राजधानी जयपुर में बनाए जाते है।

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पहले लाख को गर्म करके उसे लचीला बनाया जाता है फिर उसे गोल आकर देकर उसमे फुकनी की मदद से गुलाल भरी जाती है।

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इन गुलाल गोटो को जयपुर के कुछ मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से बनाते आ रहे है।

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जाने उन देशों के बारें में जहां होली मनाई जाती है

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