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क्या आप जानते है भारत में एक ऐसा किला है जहाँ बारूद खत्म हो जाने पर चांदी के गोले दागे गए थे? आगे जानिए -

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रेत के टीलों से घिरा हुआ राजस्थान का एक शहर है चुरू जो अपनी हवेलियों के लिए भी जाना जाता है।

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चुरू के किले का निर्माण ठाकुर कुशालसिंह द्वारा 1739 ई. में करवाया गया था।

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इस दुर्ग ने अपनी आज़ादी और अस्मिता की रक्षार्थ हेतु अग्रेजों के साथ और आस-पास के ठिकानों के साथ युद्ध लड़े।

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1814 ई. में ठाकुर शिवसिंह जो कि कुशालसिंह के वंशज थे, उन्होंने बीकानेर के राठोड़ों के साथ युद्ध लड़ा।

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युद्ध के समय बीकानेर के शासक राजा सूरत सिंह थे, इस युद्ध से बीकानेर और चुरू की सेना में घमासान युद्ध हुआ।

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बीकानेर की सेना के विरुद्ध युद्ध में चुरू की सेना के पास गोला बारूद समाप्त हो गया था।

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गोला बारूद की समाप्ति होने पर प्रजा ने शिवसिंह का पूरा साथ दिया और आभूषणों से तोप के गोले बनाए गए और दुश्मनों की सेना पर दागे गए।

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इसी कारण चुरू के किले को चांदी के गोले दागने वाला किला कहा जाता है।