भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे।
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उनका बचपन का नाम वर्धमान था।
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वर्धमान महावीर को 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई।
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महावीर स्वामी के 11 शिष्य थे जो गणधर कहलाये।
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महावीर ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए जो उस समय जन सामान्य की भाषा हुआ करती थी।
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72 वर्ष की आयु में कार्तिक अमावस्या को भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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महावीर स्वामी के अनुयायियों में बिम्बिसार, कुणिक जैसे राजाओं का नाम शामिल है।
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