भारत में विभिन्न राज्य है और उनकी अपनी-अपनी चित्रण शैलियाँ भी है। उन्हीं में राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसका इतिहास, कला और संस्कृति काफ़ी महत्वपूर्ण रही है
राजस्थान में चित्रण की अलग-अलग शैलियाँ है जिनमें प्रमुख है किशनगढ़ शैली
किशनगढ़ शैली
इस शैली में श्रृंगार रस की सभी विशेषताओं का सटीक चित्रण किया जाता है, इसी शैली में एक महिला का चित्रण किया गया
श्रृंगार रस
किशनगढ़ में राजा सावंत सिंह का शासन था उस समय उनके दरबार की गायिका थी, वह राजा की प्रेमिका भी थी जिनका नाम था विष्णुप्रिया
बणी-ठणी का असली नाम
राजा सावंत सिंह के चित्रकार थे निहालचंद, इन्होंने ही विष्णुप्रिया का चित्रण किया
चित्रकार
1778 में निहालचंद द्वारा विष्णुप्रिया की एक पेंटिंग बनाई गई, जिसे ‘बणी-ठणी’ के नाम से जाना जाता है
बणी-ठणी चित्रकार
इस चित्रकारी की मुख्य विशेषता थी पारदर्शी वस्त्र, तीखा नाक, बेसरी आभूषण और तीर कमान समान नेत्र
बणी-ठणी की विशेषता
1941-42 में एरिक डिक्सन और फैयाज़ अली ने ‘बणी-ठणी’ को “भारत की मोनालिसा” की संज्ञा दी
भारत की मोनालिसा
‘बणी-ठणी’ चित्र का आकार 48.8 X 36.6 सेमी है, इस चित्र को अजमेर के संग्रहालय में रखा गया है
चित्र का आकार
भारत सरकार द्वारा 1973 में ‘बणी-ठणी’ पर 20 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया था
डाक टिकट
भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को गिफ्ट किया था यह किला